"बबी आज़ १६ जुलाई है",
प्यारे सपनों के शुरु होने का दिन,
सबसे सही रास्ते की समझ का दिन,
"आज़ १६ जुलाई है".
तुम बहुत अज़ीब हो,
समझते-समझते २ वर्ष बीत गये,
हर दिन नए आयाम गढ़ देती देती हो.
और छूट जाता हूँ मैं बहुत पीछे,
आपको समझ पाने की दौङ मै.
बहुत कुछ झेला है आपने मेरे लिये
यादें तो है ही ,
मैं लिख लेता हूं अपने भावों को,
मगर आपके तो दिल मै ही रह जाता है सब कुछ
शायद समझ पाता हूं मैं बबी,
मैं रोज क़ुदरत से मांगता था एक बेटी,
नास्तिक था मगर कुदरत थी मेरा भगवान,
मेरी सारी कल्पनायें एक चेहरे मै
कैद कर दी क़ुदरत ने .
बरसों इक पत्थर को पूजा,
तब जाकर मैंने पाया है आपने भगवान को.
आज मेरे उसी वरदान की तीसरी बर्षगाँठ है ,
"आज १६ जुलाई है",
बबु तुम, कितनी बड़ी हो ना,
"मुझसे बहुत बड़ी हो तुम".
कैसे चली आई थीं उस दिन,
जैसे एक बेटी आती है , पापा के पास
बरसों बाद
"आज वही १६ जुलाई है बेटी"
प्यारे सपनों के शुरु होने का दिन,
सबसे सही रास्ते की समझ का दिन,
"आज़ १६ जुलाई है".
तुम बहुत अज़ीब हो,
समझते-समझते २ वर्ष बीत गये,
हर दिन नए आयाम गढ़ देती देती हो.
और छूट जाता हूँ मैं बहुत पीछे,
आपको समझ पाने की दौङ मै.
बहुत कुछ झेला है आपने मेरे लिये
यादें तो है ही ,
मैं लिख लेता हूं अपने भावों को,
मगर आपके तो दिल मै ही रह जाता है सब कुछ
शायद समझ पाता हूं मैं बबी,
मैं रोज क़ुदरत से मांगता था एक बेटी,
नास्तिक था मगर कुदरत थी मेरा भगवान,
मेरी सारी कल्पनायें एक चेहरे मै
कैद कर दी क़ुदरत ने .
बरसों इक पत्थर को पूजा,
तब जाकर मैंने पाया है आपने भगवान को.
आज मेरे उसी वरदान की तीसरी बर्षगाँठ है ,
"आज १६ जुलाई है",
बबु तुम, कितनी बड़ी हो ना,
"मुझसे बहुत बड़ी हो तुम".
कैसे चली आई थीं उस दिन,
जैसे एक बेटी आती है , पापा के पास
बरसों बाद
"आज वही १६ जुलाई है बेटी"
"मेरी बिटिया तुम महान हो"
"तुम्हे लाखों सलाम"
आपका मोटलि