बुधवार, 16 जुलाई 2014

"बबी  आज़ १६ जुलाई है",
प्यारे सपनों के शुरु होने का दिन,
सबसे सही रास्ते की समझ का दिन,
"आज़ १६ जुलाई है".
 तुम बहुत अज़ीब हो,
समझते-समझते २ वर्ष बीत गये,
हर   दिन नए आयाम गढ़ देती देती हो.
और छूट  जाता हूँ मैं बहुत पीछे,
आपको समझ पाने की दौङ मै.
बहुत कुछ झेला है आपने मेरे लिये
यादें तो है ही ,
मैं लिख लेता हूं अपने भावों को,
मगर आपके तो दिल मै ही रह जाता है सब कुछ
शायद समझ पाता हूं मैं बबी,
मैं रोज क़ुदरत से मांगता था एक बेटी,
नास्तिक था मगर कुदरत थी मेरा भगवान,
मेरी सारी कल्पनायें एक चेहरे मै
कैद कर दी क़ुदरत ने .
बरसों इक पत्थर को पूजा,
तब जाकर मैंने पाया है आपने भगवान को.
आज मेरे उसी वरदान की तीसरी बर्षगाँठ है ,
"आज १६ जुलाई है",
बबु तुम, कितनी बड़ी  हो ना,
"मुझसे बहुत बड़ी हो तुम".
कैसे चली आई थीं उस दिन,
जैसे एक बेटी आती है , पापा के पास
बरसों बाद
"आज वही १६ जुलाई है बेटी"

             "मेरी बिटिया तुम महान हो"
                  "तुम्हे लाखों सलाम"
                                          आपका मोटलि 






मंगलवार, 28 जनवरी 2014


 इस बार कि ठण्ड में एक कम्बल कम था न तेरे पास 
वही पिछले साल वाली जेकेट से 
एक बच्ची ने कम चलाया 
एक माँ पुरे साल परेसान रही 
एक चारपाई ले लेना बेटे 
क्यों सोता है जमीन में 
एक बाप अकेला गाओं में 
उलझा रहा अबकी ठण्ड 
अम्मा ने ठण्ड कसे निकली अबकी नही पता 
मुझे परेसान होने कि आदत है ये सब सोचकर 

कोई ठण्ड से परेसान नही हुवा 
कोई नि। ....बस इसलिए 
एक  खुदगर्ज  ने भुला दी ठण्ड उनकी 








फौलाद सी  सभ्यता  बीज पत्थर पर बो दिए   
तेरी जाती ने तुझ से   इंसान केसे पैदा किया केसे 
तू  सियासतदान  अपनी  औकात देखना 
तू  नामुरादों ने किस तरह 

जातियों और  लाशों से बुनकर तकथ बना दिया 
रोटी ढूढ़ते पेटों में बम बांधे इन लोगों ने 
कुछ कुत्तों  एक बेटे को सरगना बना दिया 
मुझे भी इश्क़ है जहाँ  मैं भी बंदा हु इसी जहाँ का  
मगर ये रेखाए खीचकर तेरे बेटों ने क्या किया 
इन राष्ट्रों  ने केसे  सिपाही बना दिए बन्दे 
इन बन्दों के दिलों का क्या किया ?
तू लाल झंडे को सलाम कर या  फिर काले को 
मुझे बता तूने अपने ईमान का क्या किया 
लाखो मरे भूख से किसी को क्यों खबर हो 
भीड़ इखट्टा हो गई किसी ने पुतला जला दिया 
एक बार फिर बू  आ रही है इंतखाबादी यहा से 
एक बस्ती को फिर किसी ने खाक मै मिला दिया 
मरे सीने में जो आग थी उसका क्या करता दस्यन्त 
कुछ सुझा नही तो मेने अपना दिल जला दिया 
थरथराती होंगी तेरे दौर में दीवारें 
कुछ न हुवा बाद उसके वो गिरी 
और लोगों ने जहाँ जला दिया 
वो गली के कचरे बीनता है नामुराद है वो 
जो  लूट रहा तो  है कह रहे है देश चमका दिया 
ये वो बर्फ जमी दे दिलों में, बर्बाद करेगी एक दिन 
सुमंदर कि सन्ति ने अबी मौका दिया है 
ये जो लाल धराये दिल से रोज आती जाती है 
कोई कम आये आएगी खुद से वडा किया है 
में उम्र भर जी न पाऊँ तो बात ही क्या है 

























रविवार, 12 मई 2013

 शहर दुखी है चुप  है

शहर  दुःख है
उसकी प्यारी नदी सूख रही है
शहर का दुःख है
इस बार नेताजी को
शरीफों ने बड़ी चुनोती दी है
शहर का दुःख है
बाप ने बेटी बचपने मै ब्याह दी
की बेटा बोर्डिंग में अच्छे  से पढ़े
शहर का दुःख है
की मस्जिद की आवाज़
खुदा  तक पहुच नही पा रही है
शहर का दुःख है
फिर एक प्यारी सी बच्ची
बड़ी होने लगी है
शहर का दुःख है
गुंडे खुले आम टोपियाँ पहन
 सडको पर भी आने लगे
शहर का दुःख है
 दूर गाँव में  बिजली तो नही है
पर पेप्सी- कोक ठंडा बिक जा रहा है
शहर का दुःख है
 कही जातियां ईमान हो रही है
कही  धरम के  मै  है
शहर का दुःख है
 के  ने  




रविवार, 28 अप्रैल 2013


"प्रेम" क़ुदरत की जिद है ......... पंडितो, मौलवियों की नफरत से बहुत ताकतवर ..... जाति, सीमाओं में बटे  इंसानों के झूठे, दिखावटी शान, ईमान और धर्मो से बहुत ऊपर, ...."कुदरत का धर्म है प्रेम"....... मानवता का ही नहीं बल्कि प्राणीमात्र का सर्वोत्तम आनंद और अंतिम मंजिल भी है ......... कुदरत हमें आजादी का अधिकार देती है, और प्रेम का सन्देश ........जातियों, धर्मो, सीमाओं  की धज्जिया  उड़ाने वाले क़ुदरत के इस  पवित्र नूँर को लाखों सलाम।।।।।।।। 

बुधवार, 24 अप्रैल 2013

  मानव की  मानवता को ऊँचा उठता है ...जीवन के वास्तविक अर्थो की तरफ बढ़ना सिखाता है.....खुद  के बारे में कुछ कहता  नही ..........कुदरत की सबसे खूबसूरत नेमत है  ......... ।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। ,,,,,,,,," मोहब्बतों की इस सुन्दरता को सैकड़ो सलाम "
तेरे प्यार ने अंधा किया
दुनिया ने  हमे  लूट  लिया 
प्रेम फ़र्ज़ भी है , प्रेम जिम्मेदारी भी है , प्रेम अपने आप मै एक धर्म है। सब धर्मो से बड़ा धर्म,  जाति-पाति  से बहुत  ऊपर, मानवता से ऊँचा प्राणिमात्र का धर्म, कुदरत का धर्म है प्रेम। .....यह इन्सान को ऊँचा उठाता है, साहसी बनता है, .......मुझे गर्व है कि मैं  इसे महसूस कर सकता हूँ, और  मै इसमें जीना चाहता हूँ