तेरे ताजमहल मे छेद हो सकते है,
कि अबकी तूफान बारूदी सा है
बारिस भी घनी होगी कि अबकी
मौसम अपने ही मिजाज में होगा
तू सोच ले , समेट ले बादशाह
अपना बोरिया- बिस्तर कि
उठा ले और भगा ले बेगम को
ये महल अबकी टपकेगा जरूर
झोपडी जैसा बन जाएगा
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