संगीनों के साये और, शहर जल रह है।
जलने थे मंदिर मस्जिद घर जल रहा है
चल खैर मना ले, ओ पुलिसिया जाती तू
देख तुझको अब मेरा जिगर जल रहा है।।।।।।।।।
जलने थे मंदिर मस्जिद घर जल रहा है
चल खैर मना ले, ओ पुलिसिया जाती तू
देख तुझको अब मेरा जिगर जल रहा है।।।।।।।।।
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