ना घर, ना शहर
और न बाज़ार में मिलूँगा,
मै तो खोया हुवा बस
अपने ही संसार में मिलूँगा|
किसी के मानिंद
अपनी ही नस्ल का दुश्मन मै नहीं,
गरीब की दुवाओं में कही,
कही बच्चो के प्यार में मिलूँगा |
ये दुनिया मजहबों के भरोसे
नहीं चली कभी यार मेरे,
मिल सका कभी तो
संस्स्कारों के उद्दार में मिलूँगा|
तुझे करनी है कश्ती तो तू कर ले
मुझे छोड़ दे,
डूबने जा रहा हूँ अभी
मै तुझे पार में मिलूँगा|
इस फकीरी की कीमत
क्या बताऊ तुझे अभी,
दुनिया बदल चुकी होगी
तब बिचार में मिलूँगा |
जो मजहब तोड़ने की कोसिस करे
मेरे हिंदोस्ता को,
उस धर्म को बेच दूंगा
मै इसी ब्योपार मे मिलूँगा|
मोह्हबत तो मैने भी करी है
पर मै ताजमहल नहीं बनाता,
कभी माँ के क़दमों मैं
तो कभी किसी गरीब की झोपड़ी के आधार मे मिलूँगा|
सीमाओं के झूठे तनाव का
मै सिपाही नहीं,
मोह्हबत के वास्ते हो जंग
तो धुवाधार मै मिलूँगा|
रोहित....
और न बाज़ार में मिलूँगा,
मै तो खोया हुवा बस
अपने ही संसार में मिलूँगा|
किसी के मानिंद
अपनी ही नस्ल का दुश्मन मै नहीं,
गरीब की दुवाओं में कही,
कही बच्चो के प्यार में मिलूँगा |
ये दुनिया मजहबों के भरोसे
नहीं चली कभी यार मेरे,
मिल सका कभी तो
संस्स्कारों के उद्दार में मिलूँगा|
तुझे करनी है कश्ती तो तू कर ले
मुझे छोड़ दे,
डूबने जा रहा हूँ अभी
मै तुझे पार में मिलूँगा|
इस फकीरी की कीमत
क्या बताऊ तुझे अभी,
दुनिया बदल चुकी होगी
तब बिचार में मिलूँगा |
जो मजहब तोड़ने की कोसिस करे
मेरे हिंदोस्ता को,
उस धर्म को बेच दूंगा
मै इसी ब्योपार मे मिलूँगा|
मोह्हबत तो मैने भी करी है
पर मै ताजमहल नहीं बनाता,
कभी माँ के क़दमों मैं
तो कभी किसी गरीब की झोपड़ी के आधार मे मिलूँगा|
सीमाओं के झूठे तनाव का
मै सिपाही नहीं,
मोह्हबत के वास्ते हो जंग
तो धुवाधार मै मिलूँगा|
रोहित....
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