रविवार, 16 दिसंबर 2012

भरोसे की आत्मा मर गई
मौक़े  का इंतजार है
रोज दिए जलाले भाई
जब घी में भ्रस्टाचार  है।
खादी सफेद रहनुमा की
सफेद कुर्ती, सलवार है
पर गाँधी तेरे देश मै
बजीर, बलात्कार है ।
 युवा होकर 18 का,
बहुत ही शर्मसार  है
कि कही कोई कह न दे
ये तेरी चुनी सरकार है ।
देख रहा उपर से बापू
बोला  ओह, धिक्कार है
मेरा नाती भी बेचारा
बी0 एड0 बेरोजगार है ।..........
तेरे ताजमहल मे  छेद हो सकते है, 
कि  अबकी तूफान बारूदी सा है 
बारिस भी घनी होगी कि अबकी 
मौसम अपने ही मिजाज में होगा 
तू सोच ले , समेट ले बादशाह
 अपना बोरिया- बिस्तर कि 
उठा ले और भगा ले बेगम को  
 ये महल अबकी टपकेगा जरूर 
 झोपडी  जैसा  बन जाएगा