बुधवार, 13 मार्च 2013

 भाई  साहब बड़े स्कूल में पढ़े है,  बहुत परसेंट  नम्बर  वाले भी   है मुझे आज  कम्युनिज़म   समझा रहे थे,,,,
बहुत  देर से खिच- खिच  सुन रहा था   ......दिक्ख लग गया .......फिर मैंने  कहा  भाई साहब  सरकारी स्कूल  में पढ़ा हूं  ...जन्मजात हूँ .....श्री श्री १० ८  से भी पूछ लेना  ...... बस से स्कूल जाने वाला,,,,,,,,,,, लंच पे पिज्जा खाने वाला ....चला कम्युनिज़म समझाने ......७ किलोमीटर पैदल चलके स्कूल जाता था ......रस्ते के जंगल में  तेरे बाप के  लोग जंगल काट- काट तख्ते बना बेचते थे ......तब समझा था मैं  कम्युनिज़म,,,,  जब पत्थर फेक तेरे बाप के बंदरो को  भगाने की नाकामयाब गुस्ताखी की थी ....तब समझा था ...... ...जब फुटपाथ लगाने चोराहे पे अकेला भिड़ गया था पचास जानवरों से,,,,,,,,,,, .... ......अमीरजादों की औलाद जब कम्युनिज़म समझाते है ,,,,भून के खा जाने का मन करता है ......



रविवार, 10 मार्च 2013

 आसमां को  आँखें    दिखा रही है,
एक पगली  ख़ुदाया  को डरा रही है ,
उसने कहा है  बुनियाद हिला देगी  
 वो मौह्ब्ब्तों से बम बना रही है ...
दावा उल्फत का, शैतान मिजाजी
 परिंदे सी है , दिल मै घर लगा  रही है
मेरी औकात क्या, प्यार ना हो मुझे
वो दीवानी अब  दिल बिछा रही है।
                      ....................रोहित