बुधवार, 9 मार्च 2011

" तुम भी कुछ तो किया करो "

                   

में अकेला ही तुम्हारी तारीफ करता फिरता हू शहर भर मै
तुम भी आओ कभी की जलवा ज़माने को दिखाया करो |
रहें जुदा हे हमारी-तुम्हारी एक अरसे से तो क्या बात है,
हम साथ- साथ है अब भी इस ज़माने को दिखाया करो|
दोस्तों का ख्याल है कि अकेला मै ही नशा करने लगा हू,
कि महफिलों में कभी जाओ तो तुम भी लडखडाया करो|
लोग अब भी समझें जो गर आँख उठाई तो खेर नहीं,
कि यू ही कभी मिलो बाज़ार में तो हाथ मिलाया करो|
तुम्हारी जुल्फें शहर  में मशहूर है सुन रहा हू आजकल ,
हमें भी खबर दो कभी, नहाने दरिया की तरफ जाया करो|
वक्त की रफ़्तार में तुम भी सामिल हो गए अब शायद,
जी लेंगे पल दो पल नशे में रहो कभी तो बुलाया करो|

                                                                रोहित कुमार




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