रविवार, 22 मई 2011

सिगरेट की तरह जलती है जिन्दगी,
उम्र भी उतनी ही है
कल कई सपने टूटे आज फिर टूटेंगे
साथ शराब के कितने चलेंगे आखिर ये सपने
लड़खड़ाने लगे है कच्ची उम्र में अभी से
अभी तो देखेने ही लगे थे
आपकी याद आ गई 
जब भी देखेता हू
नया सपना कोई
तुम याद आ जाती हो साथ उनके
फिर शराब आ कर कर देती है मदमस्त हमें
तुमको भूलने के वास्ते
भूल जाते है तुमको साथ सपनों को भी
बस साथ रहता है कुछ तो वो होती है
 "यादें"
या फिर खाली  बोतल. 

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