रविवार, 13 नवंबर 2011

मिला करो..

कभी कभार मिला करो  मेरे यार मिला करो,
नदिया के वार  मिलो या पार मिला करो |
सुबह मिलो मस्जिद से निकलते हुवे,
फिर दिन भर बाज़ार मिला करो |
दोस्त पंडित तुम भी तो यार मिला करो,
क्या खूब है कहो संसार मिला करो|
शहर में आग लगी हो लगने दो,
तुम मंदिर में गुलज़ार मिला करो |
मिलना जुलना यही तो है प्यार मिला करो,
और कहो जिया  है बेक़रार मिला करो|
मैखाने को ही मंदिर समझो.
तीन धर माथे पे  यार मिला करो |
पोथी के पंडित रेखाओं के होसियार  मिला करो.
हम भी है ही बेवड़े लुटने को तैयार  मिला करो |
मंदिर के पत्थर को दूध पानी पिलाते रहो.
 खुद पियों मै  की धर मिला करो|
                                                    रोहित...

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