रविवार, 12 मई 2013

 शहर दुखी है चुप  है

शहर  दुःख है
उसकी प्यारी नदी सूख रही है
शहर का दुःख है
इस बार नेताजी को
शरीफों ने बड़ी चुनोती दी है
शहर का दुःख है
बाप ने बेटी बचपने मै ब्याह दी
की बेटा बोर्डिंग में अच्छे  से पढ़े
शहर का दुःख है
की मस्जिद की आवाज़
खुदा  तक पहुच नही पा रही है
शहर का दुःख है
फिर एक प्यारी सी बच्ची
बड़ी होने लगी है
शहर का दुःख है
गुंडे खुले आम टोपियाँ पहन
 सडको पर भी आने लगे
शहर का दुःख है
 दूर गाँव में  बिजली तो नही है
पर पेप्सी- कोक ठंडा बिक जा रहा है
शहर का दुःख है
 कही जातियां ईमान हो रही है
कही  धरम के  मै  है
शहर का दुःख है
 के  ने  




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