बुधवार, 24 अप्रैल 2013

संगीनों के साये और, शहर जल रह है।
जलने  थे मंदिर मस्जिद  घर जल रहा है
  चल खैर मना ले, ओ  पुलिसिया जाती तू
 देख तुझको अब मेरा जिगर जल रहा है।।।।।।।।। 

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